5G क्या है?
फोन और हमारा रिश्ता काभी पुराना है और उतना ही मजबुत भी, जहां पहले के फोन Wire वाले हुआ करते थे, फिर Cordless का जमाना आया और अब Wireless Phone का जमाना चल राह है। पहले के Basic Phones की जगह अब के Generetion के लोग स्मार्ट फोन का स्तेमाल करते है। फोन के इस बदलते स्वरूप के साथ उसकी Generetion भी जुड़ी होती है, जो कि 1G से 4G का सफर तय कर चुकी है और अब आगे 5G की तरफ अपना रूख कर रही है।
5G का Full Form है Fifth Generetion. Fifth-Generetion Wireless बहुत Latest Cellular Technology है,
जिसेसे कि Wirlesess Network की Speed responsiveness को आसानी से पढ़ा जा सके वहां 5G में, Data को Wireless broadband connection के माध्यम से लगभग 20 Gbps से भी ज्यादा की Speed में Transmit किया सकता है और 5G में ज्यादा Bandwidth और advanced antenna technology होने के कारण इसमें ज्यादा amount की data को Wirless के माध्यम से transmit किया जा सकता है । 5G से उपभोगताओं को इंटरनेट की अच्छी स्पीड मिलेगी।
5G की भारत में क्या स्थिति:-
नई सरकार ने अपने 100 प्रारंभिक दिनों के कामकाज में 5जी का फील्ड ट्रायल करने को प्राथमिकता दी है।
इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर आगे चल रही चीनी कंपनी हुआवे के इस ट्रायल में शामिल हाने पर अभी सवाल बना हुआ है क्योकि पिछले दिनों अमेरिका ने इस चीनी कंपनी पर अपनी सरकार के साथ अमेरिकी डाटा साझा करने के आरोप में इसे काली सूची में डाल दिया था।
फिलहाल सवाल यह है कि भारत के लिए 5जी की जरूरत क्यों है, और अन्य देशों की तुलना मे इसकी शुरूआत करने में भारत की क्या स्थिति है
भात में 5जी तकनीक का प्राथमिक उपयोग बिजनेस टू बिजनेस केस के लिए है। इससे आॅटोमेटेड ड्रायविंग और टेलीमेडिसीन जैसे क्षेत्रों को लाभ मिलेगा।
उपभोक्ताओं को इंटरनेट की अच्छी स्पीड मिलेगी। आर्थिक दृष्टि से देखें, तो 5जी आॅपरेटर इस तकनीक के माध्यम से 2026 तक 582 अरब डाॅलर अतिरिक्त कमाई की योजना रखते है। इससे विनिर्माण, उर्जा और युटिलिटी क्षेत्र को सबसे ज्यादा अवसर मिलने की संभावना है।
दूरसंचार क्षेत्र द्वारा 5जी सेवाओं से होने वाले राजस्व लाभ के मूल्यांकन हेतु एक पैनल बनाया गया है, जिसने इस माध्यम से 2035 तक एक हजार अरब डाॅलर का लाभ होने का अनुमान लगाया है।
भारत में 5जी को अभी 25 गीगाहर्टस् या 28 गीगाहर्टस् स्पेक्ट्रम दिए जाने पर संशय बना हुआ है। पिछले वर्ष एयरटेल और हुआवे ने 5जी की शुरुआत के लिए एक लैब ट्रायल किया था। इसमें 3 गीगा बाइट प्रति सेकंड की कार्यक्षमता प्राप्त की गई। इसके बाद 5जी पर भारत में बात आगे नहीं बढ़ पाई।
अब दूरसंचार मंत्रालय ने एयरटेलए वोडाफोनए रिलायंस और जियो को अगले तीन माह तक 5जी ट्रायल की छूट दे दी है। सरकार भी इस क्षेत्र में भारतीय कंपनियों को विश्व स्तर पर ले जाने की इच्छुक है। अभी तक 5जी के 20 ऑपरेटर विश्व के 294 स्थानों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
दूरसंचार उद्योग फिलहाल कर्ज में डूबा हुआ हैए और उसे 5जी की बोली लगाने में इस स्थिति के उजागर हो जाने का डर है।
5जी के फील्ड ट्रायल के बाद ऑपरेटरए इसे उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध करा सकते हैं।ए लेकिन इससे पहले उन्हें अपेक्षित स्पैक्ट्रम की आवश्यकता होगी। कुछ दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि चूंकि अभी भारत के सुदूर इलाकों में 4जी नेटवर्क ही नहीं पहुँच सका है। इसलिए 5जी को लाने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
भारत के 5जी में हुआवे की भूमिका
अमेरिका द्वारा हुआवे पर प्रतिबंध लगाने के बाद कई देशों ने इसका अनुसरण किया है। हुआवे की तकनीक किफायती है। यही कारण है कि UK ने इस पर प्रतिबंध नहीं लगाया है।
भारत ने अभी इस पर निर्णय नहीं लिया है। हुआवे भी भारत के साथ लिखित समझौता करने को तैयार है कि वह किसी प्रकार की सूचना लीक नहीं करेगा। भारत में जो भी निर्णय लिया जाएगाए वह गृह और विदेश मंत्रालय की सम्मति से लिया जाएगा।
भारत के लिए 5जी तकनीक के महत्व को अनदेखा नहीं किया जा सकता। इस क्षेत्र में सरकार जो भी कदम उठाती हैए वह जल्द ही लिया जाएए तो देश के डिजीटलीकरण की दिशा में यह लाभदायक सिद्ध होगा।