केंद्र सरकार को आर्थिक मोर्चे पर फिर झटका लगा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान देश की जीडीपी बढ़त के अनुमान को 6.1 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया है।
आर्थिक विकास की दर 4.5 फीसदी रह जाने के बाद ये कयास लगाए जा रहे थे कि RBI एक बार फिर रेपो रेट में कटौती करेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और तीन दिनों की पॉलिसी बैठक के बाद नीतिगत दरों में बदलाव नहीं किया गया। दूसरी तरफ, केंद्रीय बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान 6.1 पर्सेंट से घटाकर 5% कर दिया और महंगाई दर का अनुमान 3.5 पर्सेंट से बढ़ाकर 3.7% कर दिया है।
आर्थिक विकास की दर 6 साल के निचले स्तर पर पहुंचकर दूसरी तिमाही में 4.5 फीसदी पहुंच गई थी।
लगातार 5 बार केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में कटौती करने का ऐलान किया था। इस साल रेपो रेट में 1.35% कमी की जा चुकी है और मौजूदा दर 5.15% है।
आरबीआई (RBI) द्वारा बैंकों को दिए जाने वाले कर्ज की दर को ही रेपो रेट कहा जाता है। अगर रेपो रेट में कटौती होती है तो उसका फायदा आम लोगों को होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आरबीआई द्वारा रेपो रेट घटाने से बैंकों पर ब्याज दरों में कटौती करने का दबाव रहता है। इससे लोगों को लोन सस्ते में मिलता है। हालांकि बैंक इसे कब तक और कितना कम करेंगे ये उन पर निर्भर करता है।